कार्टूनिस्ट लक्ष्मण नहीं रहे
94 साल के लक्ष्मण लंबे समय से बीमार थे। उन्हें पुणे के दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां वह कुछ दिन से आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखे गए थे। सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। पांच दशकों से अधिक समय से लक्ष्मण ने अपने कार्टून कैरेक्टर 'कॉमन मैन' के जरिए समाज के तमाम पहलुओं को उकेरा था। राजनीतिक मसलों पर उनके बनाए कार्टून बहुत मशहूर हुए थे। हालांकि बाद में उन्होंने राजनीतिक मसलों पर कार्टून बनाना बंद कर दिया था। उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। लक्ष्मण के करीबी कैलाश भिंगारे ने बताया था, 'साल 2010 में वह लकवे की चपेट में आ गए थे। लकवे से उनके शरीर का दायां हिस्सा प्रभावित हुआ था और उन्हें बोलने में दिक्कत भी होती थी।' भिंगारे के मुताबिक, भले ही लक्ष्मण लकवे की वजह से बोल नहीं पाते थे लेकिन उन्होंने कार्टून बनाना और स्केचिंग जारी रखी थी। इसमें उनका प्रिय कैरक्टर 'कॉमन मैन' भी शामिल होता था। लक्ष्मण को यूरिनल इंफेक्शन की शिकायत के बाद हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। लक्ष्मण के कई अंग फेल के होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर के सहारे रखा गया था। लक्ष्मण के इलाज कर रहे डॉ. समीर जोग ने उनकी हालत बहुत नाजुक बताई थी। जोग के मुताबिक लक्ष्मण के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। जोग के मुताबिक लक्ष्मण को पहले से ही कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं। पहले वह फेफड़ों में संक्रमण से जूझ रहे थे और उनकी किडनी भी खराब हो गई थी।'
समाज के पहलुओं पर उकेरे कार्टूनः 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर में जन्मे रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण ने पांच दशकों से अधिक समय से अपने कार्टून कैरेक्टर 'कॉमन मैन' के जरिए समाज के तमाम पहलुओं को उकेरा था। उन्होंने सहयोगी अखबार- टाइम्स ऑफ इंडिया में 50 से ज्यादा वर्षों तक काम किया। राजनीतिक मामलों पर बनाए गए उनके कार्टून बहुत मशहूर हुए। उन्होंने कई नॉवेल लिखने के अलावा एशियन पेंट्स ग्रुप के लिए एक ऐंबलम भी बनाया था। उनके कार्टूनों को मिस्टर ऐंड मिसेज 55 नाम के हिंदी सीरियल में दिखाया गया था। उनकी रचनाओं में वे कार्टून भी थे जो उनके नॉवेल मालगुड़ी डेज में शामिल किए गए थे, जिस पर दूरदर्शन पर एक टीवी सीरियल भी इसी नाम से प्रसारित हुआ। सब टीवी पर भी आर के लक्ष्मण की दुनिया सीरियल भी काफी फेमस रहा था।
क्रिकेट और स्केचिंगः लक्ष्मण अपने 6 भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके पिता मैसूर में एक स्कूल चलाते थे। स्कूल में पीपल के पत्ते का स्केच बनाकर मिली शाबाशी के बाद उन्होंने कार्टूनिस्ट बनने की ठान ली। लक्ष्मण स्थानीय क्रिकेट टीम रफ ऐंड टफ ऐंड जॉली के कैप्टन भी थे। मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में जब उनकी ऐप्लिकेशन रिजेक्ट हो गई तो उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से बीए किया और इसी दौरान स्वराज अखबार में उनके कार्टून छपते रहे। एक कार्टूनिस्ट के तौर पर मुंबई के द फ्री प्रेस जर्नल में उनकी नौकरी लगी, जहां बाल ठाकरे उनके साथी थे। इसके बाद 1951 से टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पेज पर कॉमन मैन कैरेक्टर 'यू सेड इट' टाइटल के साथ छपता रहा है।
पत्नी ही थी इकलौती स्टारः फिल्म ऐक्ट्रेस और पहली पत्नी कुमारी कमला से तलाक होने के बाद लक्ष्मण ने एक लेखिका से दूसरी शादी की, जिनका नाम भी कमला ही था। मैगजीन फिल्मफेयर के एक कॉलम में उन्होंने अपनी पत्नी का कार्टून बनाया था, जिसका टाइटल था- द स्टार ओनली आई हैव मेट। उनके कटाक्ष भरे कार्टूनों के लिए सरकार ने साल 2005 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। इसके अलावा कॉमन मैन पर 1988 में एक टिकट भी जारी किया गया था। पुणे में साल 2001 में कॉमन मैन कार्टून की 8 फुट की एक प्रतिमा भी लगाई गई है।
पत्नी ही थी इकलौती स्टारः फिल्म ऐक्ट्रेस और पहली पत्नी कुमारी कमला से तलाक होने के बाद लक्ष्मण ने एक लेखिका से दूसरी शादी की, जिनका नाम भी कमला ही था। मैगजीन फिल्मफेयर के एक कॉलम में उन्होंने अपनी पत्नी का कार्टून बनाया था, जिसका टाइटल था- द स्टार ओनली आई हैव मेट। उनके कटाक्ष भरे कार्टूनों के लिए सरकार ने साल 2005 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। इसके अलावा कॉमन मैन पर 1988 में एक टिकट भी जारी किया गया था। पुणे में साल 2001 में कॉमन मैन कार्टून की 8 फुट की एक प्रतिमा भी लगाई गई है।
लक्ष्मण के करीबी कैलाश भिंगारे ने बताया था, 'साल 2010 में वह लकवे की चपेट में आ गए थे। लकवे से उनके शरीर का दायां हिस्सा प्रभावित हुआ था और उन्हें बोलने में दिक्कत भी होती थी।' भिंगारे के मुताबिक, भले ही लक्ष्मण लकवे की वजह से बोल नहीं पाते थे लेकिन उन्होंने कार्टून बनाना और स्केचिंग जारी रखी थी। इसमें उनका प्रिय कैरक्टर 'कॉमन मैन' भी शामिल होता था।