दिवंगत कार्टूनिस्ट पी.के.एस. कुट्टी को श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह आयोजित
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कुट्टी के कार्टूनों का अवलोकन करते प्रणब मुखर्जी |

दिवंगत कार्टूनिस्ट पी.के.एस. कुट्टी को श्रद्धांजलि देने के लिए आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक कार्टूनिस्ट का कार्य एक उपकरण के रूप में हास्य का उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण सामाजिक संदेशों को लोगों तक पहुंचाना है। राष्ट्रपति ने कहा कि हास्य, जनता और राजनेताओं के तनाव को खत्म करता है। उन्होंने कहा कि कार्टून जनता को यह याद दिलाता है कि एक शासक भी वही भूल कर सकता है जो एक आम आदमी कर सकता है क्योंकि शासक भी तो एक मनुष्य है। कार्टूनिस्ट हमारे सार्वजनिक जीवन के प्रति दर्पण दिखाने का काम करता है और एक राष्ट्र के रूप में हमे अपने
आप को देखने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि एक देश के रूप में हमें नेहरू के युग की तरफ लौटना चाहिए; एक ऐसी मनोदशा तैयार करना चाहिए जो आलोचना का स्वागत करती हो, जहां टिप्पणी तो स्वतंत्र हो लेकिन तथ्यों के साथ छेड़-छाड़ का कोई प्रयास न हो।

दिवंगत कुट्टी को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि केरल के एक निवासी के रूप में जो दिल्ली में रहे और बंगाली समाचार पत्रों के लिए कार्टून बनाया (हालांकि वे बंगाली नहीं बोल सकते थे), श्री कुट्टी एक उत्कृष्ट कोटि के भारतीय थे। उनका जीवन और उनके कार्य भाषा या राज्य की सीमाओं से परे हैं। राष्ट्रपति ने भारत के कार्टूनिस्टों से अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करके श्री कुट्टी की याद को जीवित बनाये रखने का आह्वान किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति को कार्टूनों के संग्रह वाली एक पुस्तक 'कार्टून प्रणाम' प्रस्तुत की गई। उन्होंने कार्टूनों और व्यंग्य चित्रों की प्रदर्शनी का भी आनंद उठाया।
केन्द्रीय प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री श्री व्यालार रवि, केरल के मुख्यमंत्री श्री ओमान चांडी और देश के जाने-माने कार्टूनिस्टों ने इस समारोह में भाग लिया।
नयी दिल्ली, २९ अक्टूबर, २०१२
कार्टूनिस्ट का काम हास्य की सहायता से महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश पहुंचाना है- प्रणब मुखर्जी
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प्रणब मुखर्जी |
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि कार्टूनिस्ट हास्य की सहायता से सामाजिक संदेश प्रेषित करता है। हास-परिहास लोगों के साथ-साथ राजनीतिज्ञों के लिए भी तनाव दूर करने का उपाय है। कार्टून लोगों को यह बताता है कि शासक भी उन्हीं की तरह आम मानव और उनमें भी क्षमा योग्य दोष हो सकते हैं। श्री प्रणब मुखर्जी ने यह बात आज प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट स्वर्गीय पी.के.एस. कुट्टी को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में कही। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि वे अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में श्री कुट्टी के बनाए कार्टून के निशाने पर रहे, खासतौर पर बांग्ला समाचार पत्रों ‘आनंद बाजार पत्रिका’ और ‘आजकल’ में श्री कुट्टी के कार्य के दौरान। राष्ट्रपति ने कहा कि कुट्टी जैसे कार्टूनिस्टों की तेज-तर्रार प्रतिक्रिया में नए तरह का हास्य बोध होता था। श्री कुट्टी और उनके गुरू शंकर ने इसी संस्कृति को कार्टूनिस्टों की आगे आने वाली पीढि़यों में बढ़ाया। राष्ट्रपति ने कहा कि कार्टून हमारे पास ब्रिटिश परम्परा के तौर पर आया। 1980 के उत्तरार्द्ध तक किसी नेता की पहचान उसके फोटो से ज्यादा उसके कैरिकेचर से होती थी। यहां तक कि पुराने नेता अपने बारे में बनाए गए इन हास्य चित्रों का संग्रह कर उन्हें अपने कार्यस्थल पर प्रदर्शित करते थे। उन्हें लगता था कि एक लोकप्रिय कार्टून जनता के साथ उनके संपर्क को दर्शाता है। आहत किए बिना निंदा करना, चेहरे के मूल भाव का बिगाड़े बिना हास्य चित्र बनाने की योग्यता और लम्बे चौड़े सम्पादकीय में जो बात नहीं कही जा सकती उसे ब्रश के माध्यम से व्यक्त करना कार्टूनिस्ट की अद्भुत कला है। कार्टूनिस्ट हमारे सार्वजनिक जीवन का दर्पण हमारे सामने रख देता है और एक राष्ट्र के तौर पर हमें खुद को देखने की क्षमता प्रदान करता है। हमें एक राष्ट्र के रूप में नेहरू युग में लौटना चाहिए, आलोचना का स्वागत करने का स्वभाव अपने अंदर विकसित करना चाहिए, जहां टिप्पणी स्वतंत्र हो, लेकिन वास्तविकता पावन हो।
राष्ट्रपति महोदय ने देश के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में श्री कुट्टी के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे केरल के निवासी थे, जो दिल्ली में रहे और बांग्ला भाषा न आने के बावजूद उन्होंने बांग्ला समाचार पत्रों के लिए कार्टून बनाए। वे एक सर्वोत्कृष्ट भारतीय थे। उनका जीवन और कार्य भाषाई और राज्य की सीमाओं में नहीं बंधा था। राष्ट्रपति महोदय ने सभी कार्टूनिस्टों से अपनी इस कला में उत्कृष्टता हासिल कर श्री कुट्टी की स्मृति को जीवित रखने का आह्वान किया।
कार्यशाला
कार्टूनिस्ट कुट्टी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, केरल कार्टून अकादमी और सूचना और सार्वजनिक संबंध विभाग, केरल सरकार, औपचारिक रूप से विविधता कार्यक्रमों की शुरूआत में पहले नई दिल्ली में केरल हाउस, रक्षा मंत्री के सरकारी निवास पर और प्रेस क्लब ऑफ़ इण्डिया में 27 अक्टूबर 2012 को स्मरणोत्सव का पहला चरण शुरू किया गया।
२७ अक्टूबर को अपराह्न ३ बजे कार्टून शिविर केरल हाउस में बड़ी संख्या में जिज्ञासुओं ने वरिष्ट कार्टूनिस्टों से कार्टून कला की बारीकियां और सुझावों को जानने में काफ़ी रुचि दिखायी।
अकादमी के अध्यक्ष प्रसन्नन अनिकाड, काक, बी.एस. बग्गा, गुज्जरप्पा, प्रशान्त कुलकर्णी, आआPrashanth कुलकर्णी, परेशनाथ ए वी, मनोज चोपड़ा, निशान्त थचरूबलारू, कार्तिक कट्टानारू, जगजीत राणा, डॉ. रोहनीत फ़ोर, चंदर, जेम्स मौलोडी, सुधीर नाथ, अनिल वेगा, अब्बा वजूर, अनूप राधाकृष्णन, रीतिश के.आर., विनीता वासु आदि कार्टूनिस्टों ने वहां बाल-युवा कलाकारों के साथ अपने तमाम अनुभवों को साझा किया।