बुधवार, 14 दिसंबर 2011
रविवार, 11 दिसंबर 2011
मारियो मिराण्डा
विश्वविख्यात कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा नहीं रहे
मारियो को पहली सफलता तब मिली जब `इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इण्डिया' के लिए कार्टून बनाने का प्रस्ताव मिला और उनके बहुत सारे कार्टून इस जानीमानी पत्रिका में छपे। एक साल बाद ही उन्हें 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में नौकरी का प्रस्ताव मिला।
पणजी। प्रख्यात कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा का पणजी के निकट उनके निवास पर
आज सुबह यानी 11 दिसंबर, 2011 को निधन हो गया। वे ८५ वर्ष के थे। गोवा के
जीवन और अपने चारों ओर की दुनिया पर उन्होंने अपने ढंग से विनोदपूर्ण
चित्रण किया जिसे हर वर्ग के लोगों ने भरपूर सराहा।
दिग्गज कार्टूनिस्ट मारिओ का अपने क्षेत्र में अपनी अनोखी और रोचक शैली के लिए अपने दर्शक-पाठकों के मन-मस्तिष्क में महत्वपूर्ण स्थान था। उनके हर कार्टून को पसन्द किया जाता है। मिस नींबूपानी (Nimbupani) और मिस फ़ोनेस्का मारियो मिरांडा के कार्टून 'फेमिना', 'नवभारत टाइम्स' और ’इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इण्डिया' में नियमित रूप से छपते थे।
मारियो
मिरांडा ने मुंबई में प्रतिष्ठित सेंट जेवियर कॉलेज से सेंट जोसेफ हाई
स्कूल, बंगलौर और बीए (इतिहास) का अध्ययन किया। प्रारंभ में भारतीय
प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल होने में उनकी रुचि थी, लेकिन बाद में
उनका मन बदल गया और उन्होंने अपने माता पिता के आग्रह पर वास्तुकला का
अध्ययन शुरू कर दिया।
परिवार के सूत्रों के अनुसार जल्द ही उनकी रुचि वास्तुकला में भी खत्म हो गयी। फ़िर कला के क्षेत्र में सक्रिय होकर उन्होंने एक विज्ञापन स्टूडियो में अपना कैरियर शुरू किया और कार्टून बनाना आरम्भ करने से पहले उन्होंने चार साल काम किया।
मारियो
को पहली सफलता तब मिली जब `इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इण्डिया' के लिए कार्टून
बनाने का प्रस्ताव मिला और उनके बहुत सारे कार्टून इस जानीमानी पत्रिका में
छपे। एक साल बाद ही उन्हें 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में नौकरी का प्रस्ताव
मिला। उन्हें एक Fundacao Calouste Gulbenkian छात्रवृत्ति पाने के बाद
विदेश यात्रा का अवसर मिला। मारियो ने पुर्तगाल और फिर लंदन में समाचार
पत्रों के लिए और टीवी एनिमेशन के लिए काफ़ी काम किया।
अपने
कैरियर के दौरान कई दशकों में मारियो ने कई किताबों के लिए अनेक चित्र
बनाये। मनोहर मलगांवकर की 'इनसाइड गोवा', ‘ए फ़ैमिली इन गोआ’ और डोम मोरेस
की पुस्तक ’ओपन आइज़' जैसी कई किताबों के लिए बनाये गये उनके चित्र लोग भूल
नहीं पाएंगे। उनकी अनूठी और गुदगुदाने में सक्षम शैली का शायद ही कोई
मुकाबला कर पाए।
उन्होंने एक कलाकार के रूप में 'पद्म भूषण', 2002 में और 1988 में ‘पद्मश्री’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किये।
मारिओ मिरांडा के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं।
सहयात्रा की कार्टूनिस्ट मारियो मिराण्डा को विनम्र श्रद्धांजलि!
• कार्टूनिस्ट चन्दर
क्लिक करें-मारियो को पहली सफलता तब मिली जब `इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इण्डिया' के लिए कार्टून बनाने का प्रस्ताव मिला और उनके बहुत सारे कार्टून इस जानीमानी पत्रिका में छपे। एक साल बाद ही उन्हें 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में नौकरी का प्रस्ताव मिला।

दिग्गज कार्टूनिस्ट मारिओ का अपने क्षेत्र में अपनी अनोखी और रोचक शैली के लिए अपने दर्शक-पाठकों के मन-मस्तिष्क में महत्वपूर्ण स्थान था। उनके हर कार्टून को पसन्द किया जाता है। मिस नींबूपानी (Nimbupani) और मिस फ़ोनेस्का मारियो मिरांडा के कार्टून 'फेमिना', 'नवभारत टाइम्स' और ’इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इण्डिया' में नियमित रूप से छपते थे।

परिवार के सूत्रों के अनुसार जल्द ही उनकी रुचि वास्तुकला में भी खत्म हो गयी। फ़िर कला के क्षेत्र में सक्रिय होकर उन्होंने एक विज्ञापन स्टूडियो में अपना कैरियर शुरू किया और कार्टून बनाना आरम्भ करने से पहले उन्होंने चार साल काम किया।

उन्होंने एक कलाकार के रूप में 'पद्म भूषण', 2002 में और 1988 में ‘पद्मश्री’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किये।
मारिओ मिरांडा के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं।
सहयात्रा की कार्टूनिस्ट मारियो मिराण्डा को विनम्र श्रद्धांजलि!
• कार्टूनिस्ट चन्दर
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